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SAWAN SPECIAL - Travel Guide

 SAWAN SPECIAL - Travel Guide

Hello friends 

                  कैसे हैं आप???

                   सभी आशा करती हूं महादेव की कृपा से स्वस्थ और मस्त होंगे।

           

SAWAN SPECIAL - Travel Guide
SAWAN SPECIAL - Travel Guide

        

4 जुलाई से महादेव के पवित्र मास सावान प्रारंभ हो गए हैं तो बस सभी महादेव भक्तों  के लिए महादेव को समर्पित एक Travel Blog Series लेकर मैं आपके समक्ष आ गई हूं। 

                   इसमें हम महादेव से संबंधित मंदिरों, पवित्र स्थानो आदि के बारे में जानेंगे।

                    वैसे तो भगवान शिव को समर्पित मैंने काफी ब्लॉग पहले ही लिखे हैं जो कि नीचे दिए गए हैं इन्हें पढ़कर भी आप महादेव की भक्ति में लीन हो सकते हैं।

महादेव को समर्पित Blogpost

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             तो चलिए हम  हमारा Blog स्टार्ट करते हैं

सावन का महत्व

           सावन का महत्व भारतीय संस्कृति में गहरी मान्यता रखता है। सावन मास (श्रावण मास) हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है और यह हिन्दू कैलेंडर का पवित्र और महत्वपूर्ण मास माना जाता है। सावन का महीना ज्येष्ठ मास के बाद आता है और श्रावण नक्षत्र के अंतर्गत आता है। 

              सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। शिवरात्रि भी सावन मास में मनाई जाती है, जिसे शिव भक्तों द्वारा पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

            सावन महीने में हिन्दू धर्म के लोग भगवान शिव की पूजा, अर्चना और व्रत आदि करते हैं। कई लोग सावन में शिवलिंग की अभिषेक करते हैं और कांवड़ ले जाकर गंगा जी का पानी शिवलिंग पर छिड़कते हैं। सावन के दिनों में भगवान शिव की कथाएं सुनी जाती हैं और उनके गुण गाए जाते हैं। यह मास शिव भक्ति, त्याग, आराधना और पवित्रता के संकेत के रूप में माना जाता है।

              सावन का महीना भारतीय संस्कृति में आनंद, भक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य की एक महान प्रतीक है। इस मास में लोग धार्मिक और पारंपरिक आयोजनों में भाग लेते हैं और शिव की आराधना करके उनके श्रेष्ठतम गुणों को मानते हैं। 

इस बार का सावन है महत्वपूर्ण

                            इस वर्ष सावन 58 दिनों का होगा यानी शिवजी की पूजा-पाठ और भक्ति के लिए सावन का महीना दो माह का होगा। 4 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इसी कारण से इस वर्ष सावन का महीना 2 महीने का होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। अधिकमास के चलते इस बार चातुर्मास चार के बजाय पांच महीनों का होगा। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है।  

              19 वर्षों के बाद इस तरह का संयोग दोबारा बना हुआ है जब सावन के महीने में अधिकमास आएगा। सावन के महीने इस बार 8 सोमवार व्रत पड़ने वाले हैं। पहला सोमवार व्रत 10 जुलाई को रहेगा। 

सावन की पौराणिक कथा

          सावन महीना के बारे में कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं। एक प्रसिद्ध कथा उत्पन्न होती है सागर मंथन (Samudra Manthan) के संदर्भ में।

कथा के अनुसार, देवता और असुर (देवताओं और राक्षसों के परम्परागत शत्रु) अपने अस्त्र-शस्त्रों के विकास के लिए अमृत (अजर-अमरता का प्रतीक) की खोज कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने समुद्र मंथन की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें समुद्र (सागर) के गहराई में विभिन्न खड़ी खोदे गए।

              मंथन के दौरान, समुद्र में कई महत्वपूर्ण वस्त्रादि चीजें निकलीं। इस दौरान बहुत सारे विषाक्त औषधि, हलाहल (जहरीला विष) भी निकला। देवताओं और असुरों को यह देखकर बहुत चिंता हुई क्योंकि हलाहल जीवित प्राणियों को नष्ट कर सकता था। उन्होंने अपने मार्गदर्शक ब्रह्मा से सलाह ली, जिन्होंने उन्हें बताया कि भगवान शिव को हलाहल पिलाने के लिए बुलाया जाए।

            देवताओं ने भगवान शिव को प्रार्थना की और उन्हें यह जानकर सावधान होना था कि हलाहल को पीने से पहले उसका प्रभाव नष्ट हो जाए। भगवान शिव ने हलाहल को अपने गले में संग्रह कर लिया, जिससे उनका कंठ नीले रंग में बदल गया और उन्हें नीलकंठ (नीले गले वाले) कहा गया।

              इस कथा के अनुसार, सावन महीने में भगवान शिव ने हलाहल को प्रभावहीन बनाने के लिए अपना शरीर बलिदान किया था। लोग सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा, व्रत और अर्चना करते हैं और नीलकंठ की महिमा का गान करते हैं। यह मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

अन्य -

 सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। पूरे सावन महीने के दौरान हर दिन शिवजी की पूजा-उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामना जल्दी पूरी होती हैं। सावन के महीने में सोमवार व्रत, मासिक शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है।

                 तो सावन के महत्व और महादेव की भक्ति से प्रेरित होकर मैं यह सावन सीरीज स्टार्ट कर रही हूं जो कि सावन के 58 Days तक चलेगी और इसमें मैं महादेव के पवित्र स्थलों और मंदिरों का यात्रा विवरण दूंगी।

                इसमें हम विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानेंगे साथ ही वहां आप कैसे पहुंच सकते हैं वहां किस प्रकार सुखद यात्रा कर सकते हैं और मंदिर की संपूर्ण जानकारी के बारे में मैं आपको बताऊंगी।

                   आज का Blog एक तरीके का Introduction है और जिसमें हमने महादेव की भक्ति और सावन के महत्व को जाना।

      अब अगला Blog किसी ऐसे Tourist Place से संबंधित होगा जो भगवान शिव को समर्पित है, जिसमें मंदिर और उससे संबंधित यात्रा विवरण के बारे में संपूर्ण जानकारी होगी।

                           आशा करती हूं आपको यह Blog अवश्य पसंद आया होगा और आप भी महादेव की भक्ति में लीन होकर अगले Blogpost का इंतजार करेंगे और इस Travel Series की मदद से आप भी प्रेरित होकर किसी ना किसी यात्रा पर निकल जायेंगे।                       

    अगर आप पोस्ट से रिलेटेड कोई और भी सुझाव देना चाहते हैं तो अपने कमेंट के माध्यम से आप दे सकते हैं।

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