Famous Shivling in MADHYA PRADESH
Famous Shivling in MADHYA PRADESH |
Hello friends,
कैसे हैं आप सब,
आशा करती हूं अच्छे ही होंगे।
महाशिवरात्रि आ रही है तो भगवान शिव को समर्पित एक और Blog लेकर मैं आपके समक्ष उपस्थित हूं आज का Blog भगवान शिव को समर्पित है जिसमें भगवान शिव के शिवलिंग रूप वाले मंदिरों व पवित्र स्थानों का वर्णन किया गया है तथा आज के Blog में हम मध्य प्रदेश में स्थित पवित्र स्थानों की चर्चा करेंगे और जल्दी ही मैं भारत में स्थित ऐसे ही स्थानों की एक List आपके लिए लेकर आऊंगी।
क्या है शिवलिंग ???
सबसे पहले हम भगवान शंकर के इस रूप के बारे में बात करेंगे फिर मैं आपको बताऊंगी कि मध्य प्रदेश में कहां विशेष शिवलिंग स्थित हैं और उनका क्या महत्व है।
लिंग शब्द का मतलब है “आकार”। हम इसे “आकार” इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जो अप्रकट है, वो जब खुद को प्रकट करने लगता है,
शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक। शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है न ही शुरुआत। शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है. स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है. शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है बल्कि दोनों का समान है।
तो आइये जानते है मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शिवलिंग के बारे में --
मैंने इस लिस्ट में मध्य प्रदेश में स्थित ज्योतिर्लिंग को शामिल नहीं किया है।
1. Bhojeshwar Mahadev Temple, Bhojpur
Bhojeshwar Mahadev Temple, Bhojpur |
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किमी दूर स्थित भोजपुर के करीब यह विशाल शिवलिंग अवस्थित है।
भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई - 1055 ई ) द्वारा किया गया था।
Special thing -- यह विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन शिवलिंग माना जाता है।
अपने- आप में अनूठे और विशाल आकार वाले इस शिवलिंग के कारण भोजेश्वर मंदिर को उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह एकलौता ऐसा शिवलिंग है जो एक ही पत्थर से निर्मित किया गया है।
भोजेश्वर मंदिर का अधूरा निर्माण हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के अधूरे होने के पीछे एक बड़ा कारण है। किस्से कहानियों कहते हैं। इस मंदिर को किसी वजह से एक ही रात में बनाया जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सुबह होते ही इस मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया। उस समय छत के बनाए जाने का कार्य चल रहा था, लेकिन सूर्योदय होने के साथ ही मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया, तब से ये मंदिर अधूरा ही है। हालांकि पुरातत्व विभाग ऐसी किसी भी घटना की पुष्टि नहीं करता है।
2. Didhori Mahadev Temple, Seoni
Didhori Mahadev Temple, Seoni |
सिवनी जिले से 16 किलोमीटर ग्राम राहीवाडा से पश्चिम दिशा मे गुरुधाम दिघोरी 8 किलोमीटर पर स्थित है।
इसकी स्थापना सिवनी निवासी एवं द्वि पीठाधीश्वर शंकाराचार्य श्री स्वरूपानंद जी महाराज द्वारा की गई है। दिनांक 15 से 22 फरवरी 2002 में एक सप्ताह धार्मिक मेला का आयोजन किया गया।
Special thing -- श्री गुरू रत्नेश्वर धाम दिघोरी में विश्व का सबसे बड़े स्फटिक शिवलिंग स्थापित है।
स्फटिक का शिवलिंग बर्फ की चट्टानों के बीच कई वर्षो तक पत्थर के दबे रहने से ऐसा शिविलिंग निर्मित होता है। यह शिवलिंग काश्मीर से यहां लगाया गया था।
3. Matangeshwar Temple, Khajuraho
Matangeshwar Temple, Khajuraho |
यह मंदिर खजुराहो में स्थित है इसे मतंगेश्वर मंदिर कहते हैं।
लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित यह मंदिर 35 फीट के वर्गाकार दायरे में है। इसका गर्भगृह भी वर्गाकार है। प्रवेश द्वार पूरब की ओर है। मंदिर का शिखर बहुमंजिला है। इसका निर्माण काल 900 से 925 ई के आसपास का माना जाता है। चंदेल शासक हर्षदेव के काल में इस मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग है जो 8.5 फीट ऊंचा है। इसका घेरा तकरीबन 4 फीट का है। इस शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से भी लोग जानते हैं।
Special thing -- मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की हर साल शरद पूर्णिमा के दिन एक इंच लंबाई बढ़ती है।
मंदिर की विशेषता यह है की यह शिवलिंग जितना ऊपर है की तरफ बढ़ता है उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़ता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर के पास मरकत मणि थी, जिसे शिव ने पांडवों के भाई युधिष्ठिर को दे दी थी। युधिष्ठिर के पास से वह मणि मतंग ऋषि पर पहुंची और उन्होंने राजा हर्षवर्मन को दे दी। मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा, क्योंकि शिवलिंग के बीच मणि सुरक्षा की दृष्टि से जमीन में गाड़ दी गई थी। तब से मणि शिवलिंग के नीचे ही है।
4. Amareshwar Mahadev Temple, Amarkantak
Amareshwar Mahadev Temple, Amarkantak |
अमरेश्वर की दूरी अमरकंटक से करीब 15 किलोमीटर है। प्राचीन जलेश्वर मंदिर के करीब ही अमरेश्वर महादेव के मंदिर का निर्माण किया गया है
Special thing -- यहां पर 11 फीट ऊंचे और 51 टन वजनी शिवलिंग स्थापित हैं
शिवलिंग को ओंकारेश्वर से और जलहरी को कटनी से लाया गया था
आप सीढ़ियां चढ़कर इस शिवलिंग पर जलाभिषेक और फूल चढ़ा सकते हैं।
5. Jatashankar Mahadev, Dewas
Jatashankar Mahadev, Dewas |
यह मंदिर देवास जिले के बागली से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे जटाशंकर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
जटाशंकर महादेव मंदिर बहुत ही पुराना है।
Special thing -- यहां शिवलिंग को जल अभिषेक नर्मदा नदी के द्वारा किया जाता है।
नर्मदा नदी के द्वारा शिवलिंग का जलाभिषेक किए जाने के पीछे एक कहानी प्रचलित है। इसके मुताबिक अब से तकरीबन 250 साल पहले यहां पर भगवानदास नाम के एक महात्मा रहते थे। भगवानदास जी प्रतिदिन नर्मदा नदी में स्नान करने जाते थे। स्नान करने के बाद वे नर्मदा नदी के जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते थे। कहते हैं कि ऐसा उन्होंने नियमीत रूप से कई सालों तक किया। हांलाकि वृद्धावस्था में बीमार हो जाने की वजह से नदी में स्नान करने नहीं जा सके। और शिवलिंग का जलाभिषेक भी नहीं कर पाते थे, तब नर्मदा माता ने प्रकट होकर भगवान के अभिषेक सहित विभिन्न कार्यों के लिए सतत बहने वाली पांच जलधाराओं का वरदान जटाशंकर तीर्थ के लिए दिया था। कालांतर में कलयुग के प्रभाव से चार जलधाराएं लोप हो चुकी है और भगवान का अखंड अभिषेक करने वाली जलधारा लगातार प्रवाहित है।
6. Sahastralinga Mahadev, Sehore
Sahastralinga Mahadev, Sehore |
सीहोर के बढियाखेड़ी में सहस्त्रलिंगम महादेव का मंदिर करीब 300 साल से अधिक पुराना माना जाता है।
Special thing -- एक हजार छोटे-छोटे शिवलिंग से एक बड़ा शिवलिंग बना है। यही कारण है कि इस शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगेश्वर है।
नदी से निकले इस स्वयंभू शिवलिंग के लिए नदी किनारे ही मंदिर का निर्माण कराया गया। इस शिवलिंग में एक हजार शिवलिंग समाहित है और यही कारण है कि इस शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगम महादेव है। बताया जाता है कि सहस्त्रलिंगेश्वर जैसा पूरे देश में केवल तीन ही मंदिर है।
आशा करती हूं आपको यह Blog अवश्य पसंद आया होगा, तो कमेंट करके जरूर बताएं और अगर आप किसी तरह का सुझाव देना चाहते हैं तो आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद
7 Comments
Bhut badhiya post h
ReplyDeleteOm namah shivay
Informative 😊
ReplyDeleteDetailed post. Informative and very helpful .👍
ReplyDeleteDoing well
ReplyDeleteThanks for sharing such a fantastic blog.I really appreciate your blog to share information about Madhya Pradesh
ReplyDeleteJay mahakal
ReplyDeleteJay mahakal
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