Omkareshwar trip
आज का ये लेख मेरी ओंकारेश्वर यात्रा से प्रेरित हैं।
Omkareshwar trip |
ओंकारेश्वर, मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ गई थी। ये पहली बार था जब मुझे ओंकारेश्वर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
हम लोग इंदौर से ओंकारेश्वर अपने ही वाहन से निकले थे। इंदौर से ओंकारेश्वर का सफर दोस्तों की मौजूदगी से हसीन बन गया था, साथ ही पहाड़ियों की खूबसूरती और हरे भरे पेड़ मन मोहित करने के लिए काफी थे किन्तु कुछ ही समय में सब थम सा गया हमने किनारे से देखा एक ट्रक बेकाबू होकर घाटी के किनारे पड़ा था। एक दर्द भरी सिहरन दौड़ उठी मेरे तन बदन में, इस नजारे ने मुझे फिर से एहसास दिलाया कि आनंद के चक्कर में गाड़ी को भी अच्छे से चलाना होगा। हमें एक नहीं 4 एक्सीडेंट देखने को मिले, शायद सड़क के किनारे खूबसूरत जंगलों ने चालकों का ध्यान भटका दिया होगा, यही विचार मेरे मन में आया।
2 घंटे के भीतर हम ओंकारेश्वर में थे। मंदिर से आने वाली पवित्र आरतियों ने हमारा स्वागत किया। थोड़ी देर नर्मदा के किनारे गाड़ी रोकी और सभी ने चाय का लुफ्त उठाया। अनजान थे तो लोकल लोगों की राय ली ताकि सही वक्त रहते सही जगह पहुँचा जा सके।
ओंकारेश्वर और ममलेश्वर नर्मदा नदी के दोनों तट पर स्थित हैं, एक इस किनारे तो दूसरा उस किनारे। लोहे के ब्रिज पर पहुँच कर हमने पवित्र नर्मदा नदी और आस पास के प्राकृतिक नजारे को देखा। नीचे छोटी छोटी नावों सैलानियों को यहाँ की खूबसूरती से मिलवा रही थी। यहाँ की सुंदरता को तस्वीरों में कैद करने के बाद हम दर्शन के लिए पहुँचे।
कुछ पुजारियों ने हमारा रास्ता रोका और कहा कि कुछ पैसों के बदले वो हमें ओंकारेश्वर में दर्शन करा देंगे लेकिन मेरा मानना है कि इन पुजारियों के बहकावे में न आये क्योंकि जो मजा और आस्था का अनुभव लम्बी कतारों में आता हैं वह VIP Entry में नहीं। और वैसे भी यहां सामान्य दिनों में शिवलिंग के बाहर अपेक्षाकृत कम ही भीड़ होती हैं जिससे समय का भी उचित प्रबंधन हो जाता हैं।
ओंकारेश्वर शिवलिंग |
इस प्रकार हमने ओंकारेश्वर शिवलिंग के दर्शन किये इसके बाद हम इसी के दूसरी ओर स्थित ममलेश्वर नाव के द्वारा गये। नाव में माँ नर्मदा के घाट की यात्रा बहुत आनंदमय थी। वो नर्मदा का निश्छल पानी, एक ओर मंदिरों से आती ध्वनि, और इन सब में खोकर नाव की सवारी, सब कुछ दुर्लभ एक सपने सा महसूस हो रहा था। शहर की भागती जीवनशैली से दूर आकर नर्मदा किनारे बहुत सुकून महसूस कर रही थी।
नाव से ही हम त्रिवेणी घाट भी गये यहाँ माँ नर्मदा 3 धाराओं में विभक्त थी। इसके बाद हम ममलेश्वर मंदिर पहुँचे।
मान्यता है कि ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दो नही बल्कि एक ही ज्योतिर्लिंग है जो माँ नर्मदा के दोनों और स्थित हैं। ममलेश्वर मंदिर काफी पुराना था किन्तु ओंकारेश्वर के समान यहाँ ज्यादा भीड़ नही थी जिससे दर्शन के समय मन में एक अद्भुत शांति की अनुभूति हुई।
इसके बाद हम गौधारा के दर्शन के लिए गये जहाँ से नर्मदा नदी की गुप्त धारायें निकल रही थी इसके पश्चात कुछ पल शांति का अनुभव करने के लिए हम त्रिवेणी घाट के पास पहुँचे यहां भीड़-भार नहीं थी बस कुछ ही परिवार यहाँ नर्मदा स्नान और पूजा अर्जना कर रहे थे। इन्हीं लोगों से प्रेरित होकर हम लोगों ने भी नर्मदा स्नान किया इसके बाद नर्मदा पूजा अर्जना की।
नर्मदा पूजा करने के बाद अब पेट पूजा करने का मन बनने लगा तब हम वही पास में MP TOURISM के Resort में Lunch करने पहुँचे
Resort में खाना काफी अच्छा और स्वादिष्ट था जिसे खाकर वाकई पेट पूजा पूर्ण हुई। फिर कुछ समय आसपास भ्रमण करने के पश्चात शाम तक हम अपने घर अर्थात इंदौर लौट आये।
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